शुक्रवार, जुलाई 02, 2010

दूसरा रास्ता


नर्सिंग होम पहुंचने की जल्दी और पसीने से तर चेहरे पर चिंता की लकीरें उसकी बेचैनी बयाँ कर रही थी।
वह डॉक्टर के पास पहुंची और बोली- "डॉक्टर, मैं बहुत परेशानी में हूं। अभी मेरा बेटा एक साल का भी नहीं हुआ है और मैं दोबारा पेट से हूं। आप समझते ही हैं कि इतने कम अंतर पर दो बच्चे ठीक नहीं होंगे।"
वह बोलती गई - "ऐसे में मेरे पास एक ही रास्ता है कि मैं अपना गर्भ गिरा दूं। और इस काम में आप ही मेरी मदद कर सकते हैं।"
चुपचाप उसकी बात सुन रहा डॉक्टर कुछ देर खामोश रहा। थोड़े सन्नाटे और सोच-विचार के बाद डॉक्टर ने कहा- "देखा, गर्भ गिरोगी तो बच्चे से तो छुटकारा मिल जायेगा लेकिन इसमें jओखिम ज्यादा है। मेरे पास एक और रास्ता है जिसमें तुम्हारा काम भी हो जाएगा और किसी तरह का खतरा भी नहीं है।"
महिला को कुछ राहत मिली कि चलो डॉक्टर उसके काम के लिए तैयार तो हो गया।
उसने डॉक्टर की ओर देखा तो डॉक्टर ने फिर कहना शुरू किया- "ये सही है कि तुम एक साथ इतने छोटे दो बच्चों का ख्याल नहीं रख सकोगी। ऐसे में एक से तो छुटकारा पाना ही है, तो क्यों न हम इस बच्चे से छुटकारा पा लें जो तुम्हारी गोद में है।
वह बोली- "मैं समझी नहीं।"
डॉक्टर ने समझाया- "मारना ही है तो क्यों ना इस गोद वाले बच्चे को ही मार डालें."
वह बोलता गया- "इससे दूसरा बच्चा पैदा होने से पहले तुम्हे पूरा आराम भी मिल जाएगा और तुम्हारा काम भी बन जाएगा। इससे कुछ फर्क पड़ता नहीं कि हम किसा बच्चे से छुटकारा पा रहे हैं। यदि तुम अपनी गोद में लिए बच्चे को खत्म कर दो तो तुम्हारी सेहत पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।"
डॉक्टर की बात सुनकर वह सिहर उठी।
डरी-सहमी सी वह बोली- "डॉक्टर ये कैसे हो सकता है? बच्चे को मारना तो जुर्म है।"
"सही कहा", डॉक्टर बोला। "मुझे तो पता है की बच्चे की हत्या जुर्म भी है और पाप भी, लेकिन लगता है आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसीलिए मुझे लगा कि दूसरा रास्ता ही ठीक रहेगा।"
अब डॉक्टर के चेहरे पर मुस्कान थी। वह अपने मकसद में सफल हो चुका था और एक जननी को समझा दिया था की बच्चे की हत्या समान है चाहे वह जन्म ले चुका हो, या दुनिया में आने वाला हो।

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