गुरुवार, जुलाई 01, 2010

आज फिर आसमां से बरसा है पानी...



आज फिर आसमां से बरसा है पानी,
सौंधी - सी मिट्टी महक रही है,
अरसे बाद डाला है किसी ने चुग्गा,
आज फिर चिड़िया चहक़ रही है,
आज फिर आसमां से बरसा है पानी....

छाई हैं घटायें, नम हैं हवाएं,
आज फिर नवयौवना बहक रही है,
अजीब सी तपन दे गया ये सावन
गीली है माटी, फिर भी दहक रही है....
आज फिर आसमां से बरसा है पानी....

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